Monika garg

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लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ

प्रिय सखी।
  कैसी हो । रविवार को तुम्हारी याद आई ।
क्या कर रही थी आज । रविवार है आज तो छुट्टी का दिन ।पर हमारी छुट्टी कभी हैती है कभी नहीं।एक गृहिणी कभी छुट्टी नही मना सकती ।सुबह उठते ही ढेरों काम मुंह बाये उसका इंतजार कर रहे होते है कि आओ और हमे पूरा करो।पानी ,रोटी सब्जी , मार्केट का काम , बच्चा बीमार तो मां को चिन्ता।घर मे कोई चीज खत्म हो जाए और वो समय पर ना बता पाये तो पतिदेव का भाषण शुरू हो जाता है । बिना स्त्री के पुरुष की जीवन नैया खैयी नही जा सकती।पर जब पूछो उनसे कि तुम्हारी पत्नी क्या करती हे तो एक ही जवाब मिलता है "कुछ नही यार घर पर खाली बैठी है कोई नौकरी वगैरह नही करती। " मै पूछती हूं नौकरी करने वाली औरतें ही काम करती हे क्या? एक गृहिणी के जिम्मे जितना काम होता है वो दो पुरुष मिल कर भी नही कर सकते। गृहिणी सदा बिजी थी और रहेगी।मुझे याद है हमारी मां सब काम अपने हाथों से करती थी जैसे गेहूं साफ करना,मसाले घर पीसना, अंगीठी पर रोटी बनाना।अगर अंगीठी के ईंधन का सामान खत्म होता तो वो भी घर तैयार करना जैसे कोयले बाजार से मंगवाकर उसे छोटे छोटे टुकड़े करना , मिट्टी ,गोबर,कोयले की चूरी की गिट्टी बनाना।कितने काम होते थे हमारी मां के पास ,कभी आचार बनाना,कभी स्वैटर बुनना।वो भी व्यस्त रहती थी ओर आज की गृहिणी भी व्यस्त रहती है चाहे एक बटन दबाने से उसके सारे काम हो जाते हो चाहे।काम की विभिन्नता मे अंतर आ चुका है ।पहले काम और ढंग के थे आजकल काम और ढंग के है पर व्यस्त हमेशा गृहिणी ही रहती है । क्यों सही कहा ना अब चलती हूं अलविदा।

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2 Comments

Peehu saini

06-Dec-2022 05:58 PM

Anupam 🌸👏

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Pratikhya Priyadarshini

05-Dec-2022 11:33 PM

Behtreen 👌🌺

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